Railway & Thermal Power Plant
*ताप विद्युत गृह में कोल रेक से खतरे*
एक रिसर्च के मुताबिक रेलवे के कुल दुर्घटनाओं में से 50% दुर्घटनाओं का कारण है Derailment होना या पटरियों से रेल का उतरना एवं 36% दुर्घटनाओं का कारण है Unmanned crossing, 5% दुर्घटनाओं का कारण है Collision या टक्कर।
इन रेल दुर्घटनाओं में होने वाली जन हानि या मौतों में से 59% का कारण बनते हैं Unmanned Crossing 24% का कारण बनते है Collision, Derailment मात्र 4% मौतों का कारण बनते है।
किसी भी ताप विद्युत गृह में प्रतिदिन मालगाड़ी से हजारों टन कोयले का आगमन प्रतिदिन कई बार होता है मालगाड़ी के संयंत्र में प्रवेश से अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं संभावित है जैसे
1- इंजन से टक्कर से मौतें एवंं टूट फूट संभावित हैं,
2- हाई टेंशन लाईन होने से बिजली संबंधित दुर्घटनाएं संभावित है।
3- गाड़ी पलटने से व्यापक संपत्ति के नुकसान एवं जान का जोखिम भी संभव है ।
अब हम इनके पीछे के कारणों का विश्लेषण करते हैं किसी भी दुर्घटना के दो कारण होते है पहला असुरक्षित परिस्थितियांऔर दूसरा असुरक्षित कार्यशैली ा
रेलवे के किसी भी दुर्घटना में असुरक्षित परिस्थितियां ये हो सकती है ।
1• मालगाड़ी स्वयं जो इतनी भारी और लम्बी चौड़ी ऊंची होती है
2• हाई टेंशन बिजली के तार
3• मानव रहित बैरियर
4• रेल ट्रेक का कमजोर होना
5• नई गाड़ियों का परीक्षण
6• कपलिंग आदि कमजोर होना
7• कमजोर प्रकाश व्यवस्था
8• हार्न काम न करना
इन असुरक्षित
9• आवारा पशु
10.शराबी
11. रेल पटरियों की त्रुटिपूर्ण डिजाइन
असुरक्षित परिस्थितियों के साथ जब असुरक्षित कार्य का मिलन होता है तब दुर्घटना घटती है
संभावित असुरक्षित कार्य ये हो सकते हैं
1• बिना परमिट के सुधार कार्य करना
2• इंजन की तेज गति- रिकार्ड बनाने या अन्य कारणों से
3• बैरियर कर्मी बिना रिलीवर के उपस्थित हुए इधर उधर चले जाना ।
4• ब्रेकडाऊन मेन्टेनेन्स पर निर्भर होना ,
5• सही या उचित प्रिवेटिव मेंटेनेन्स शेड्यूल न होना
6• ट्रेक निरीक्षण में लापरवाही ,
7• कपलिंग चेक नियमित रुप से न होना या लापरवाहीपूर्वक होना,
8• ब्रेक चेक उचित व नियमित न होना या लापरवाहीपूर्वक होना,
9• ट्रेक पर अनधिकृत जमावड़ा
10• पटरियों को खाने पीने या सोने के लिए इस्तेमाल करना
11• रेल सूचना केन्द्रों में तालमेल का अभाव
दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बताए गए इन सब असुरक्षित परिस्थितियों एवं असुरक्षित कार्य शैलियों का निवारण करें।
कुछ उपाय अनिवार्य रूप से अपनाए जाएँ
1) रेल ट्रेक के निरीक्षण की आवृत्ति बढ़नी चाहिए, जितना अधिक फ्रिक्वेंसी या आवृत्ति होगी, दुर्घटनाएं उतनी ही कम होंगी
2) कपलिंग की जांच भी अच्छी प्रकार होते रहना चाहिए
3) कोई भी रेलवे क्रासिंग बैरियर बिना कर्मी के किसी भी समय अंतराल में न रहे इसकी पुख्ता व्यवस्था हो
4 ) पटरियों पर अनधिकृत लोग या आवारा पशु न जमा हों या उस पर न चलें या बैठ या सो न जाएं इस हेतु निगरानी लगातार होती रहे।
5) रेलवे सूचना केन्द्रों में बेहतर तालमेल हो एवं सतर्क व जिम्मेदार लोगों की तैनाती हो।
6) प्रिवेन्टिव एवं प्रेडिक्टिव मेंटेनेन्स पर ध्यान दें ब्रेकडाउन मेंटेनेन्स की नौबत न आने दें ।
7) पटरियों की जांच अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्टर से करते समय कोई लापरवाही न किया जाए ।
8) ट्रेक के आसपास लोगों को जागरूक रखने खतरे की सूचना देने प्रोत्साहन योजना का उपयोग करें।
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